गणेश महाराज को प्रणाम करते हुए और गोस्वामी तुलसीदास जी को मन में नमन करते हुए आज शारदीय नवरात्र की पंचम तिथि को अपनी लेखनी की श्रृंखला प्रारंभ कर रहा हूं |
मां सरस्वती की मंत्रमय स्तुति करते हुए और सभी संभावित पाठक गण को नमन करते हुए यह दिलचस्प यात्रा प्रारंभ करते है |
” या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि – रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः” ||
आज पहली बार अपनी आप बीती को कहानी का रूप देने की कोशिश कर रहा हूं और पता नही कहां तक सफल हो पाऊंगा |
जीवन की यात्रा में घटित किसी अत्यंत संवेदनशील घटना के कई तार होते है जिन्हे सहज तरीके से शब्दो में पिरोना या उनकी व्याख्या करना सरल नहीं होता पर अगर शब्दों और भावों में सामंजस्य बन जाए तो लेखक अपनी भावनाओं को पाठकों तक पहुंचा ही देता है |
कहानी या वृतांत आप जो भी समझे शुरू होता है सन 2007 से जब मैंने एक अत्यंत प्रबुद्घ महिला योगिनी के मार्गदर्शन में पूर्व जन्म यात्रा जिसे अंग्रेजी में “पास्ट लाइफ रिग्रेशन” को क्रियावंतित किया |मेरी इस यात्रा को करने के कई कारण थे जिन्हे बाद में किसी विवरण में उल्लेखित करूंगा |
उस दौर यानी 2006 से 2008 के दौरान मेरी शारीरिक और मानसिक दोनों अवस्था अत्यंत खराब चल रही थी और मानसिक अवसाद इतना भयंकर रूप ले चुका था कि जीवन यापन का साहस भी चूकता सा महसूस होता था।
सन 1994 से परिचित एक ज्योतिषाचार्य को गुरु मान चुका था और जीवन यात्रा उनके परामर्श और मार्गदर्शन में चल रही थी |
अचानक आए भयंकर मानसिक अवसाद का कोई भी कारण चिकित्सक खोज नहीं पा रहे थे | परेशानी बढ़ती जा रही थी और निदान नहीं मिल रहा था |
एक दिन एक हवाई यात्रा के दौरान दिल्ली हवाई अड्डे पर एक महिला से परिचय हुआ | हम दोनो अपने अपने विलंबित विमान प्रस्थान के लिए प्रतीक्षारत थे |
पहली बार उन्हें देखने पर एक अति साधारण अधेड़ उम्र की महिला प्रतीत हुई जो देखने में करीब 50 वर्ष की आयु की मालूम पड़ती थी |
हम दोनों अगल बगल की प्रतीक्षा सीट पर बैठे थे और उन्होंने मेरे हाथों में पकड़ी हुई एक पुस्तक के बारे में पूछा और यही से हमारा वार्तालाप शुरू हुआ |
उस पुस्तक का शीर्षक था ” मनीषी की लोक यात्रा ” ( महामहोपाध्य पंडित गोपीनाथ कविराज का जीवन दर्शन ) लेखक डॉ भवानी प्रसाद सिंह |
यह पुस्तक मैने बनारस से खरीदी थी क्योंकि मुझे पंडित गोपीनाथ जी की अलभ्य सिद्धियों के बारे में स्वर्गीय विदुषी डॉ किरण मिश्र जो मेरी बड़ी मौसी थी और बाद में मेरे जीवन में मां की जगह आ गई थी ने कई बार छोटे छोटे विवरणों में बताया था |
उस प्रतीक्षारत चर्चा के दौरान उन महिला के संवाद के तरीके और बौद्धिक स्तर से मुझे ये ज्ञात हो गया कि वो एक अति विशिष्ट योगरत और पंडित गोपीनाथ कविराज की चर्चित सिद्धियों की व्याख्या करने की क्षमता रखने वाली एक विदुषी है |
अब आपको मैं इस वृत्तांत के दूसरे भाग में ले चलता हूं |
उन्होंने (योगिनी) मुझसे कलकत्ता विमान तल पर विदाई लेते हुए कहा था कि आप अगर अपने मानसिक अवसाद से पूर्णतया मुक्ति चाहते है तो मुझसे इस फोन नंबर पर संदेश भेज दीजिएगा |
साथ में बिताए करीब सात घंटों में मुझे उस महिला से एक विचित्र सा आकषर्ण हो गया था जो शब्दों की व्याख्या के परे था पर अगर फिर भी कोशिश करूं तो एक ही शब्द पर्याप्त होगा ” अलौकिक ” |
मुझे कई बार ऐसा प्रतीत हुआ कि वो मेरे बारें में बहुत कुछ जानती है और वो मुझे मेरी मानसिक अवसाद की पीड़ा से मुक्ति दिला सकती है |
मैने कुछ दिनों तक उनके आग्रह पर विचार किया और फिर अपने गुरु तुल्य ज्योतिषाचार्य से इस बात की चर्चा की |
गुरु जी ने पूरा वृत्तांत सुनने के बाद अपनी राय देते हुए ये कहा कि आप उन योगिनी से मिल लीजिए और मुझे सूचित कीजिए की वो क्या निदान बता रहीं है |
मैने उनके दिए हुए नंबर पर संपर्क साधा और वो मुझसे दूसरी बार अपने एक शिष्य के यहां कलकत्ते में मिली |
उन्होंने मुझे बताया कि आप को अपने मानसिक अवसाद से पूर्ण रूप से मुक्ति पाने के लिए अपने पूर्व जन्म की यात्रा करनी होगी जो मैं संचालित करूंगी |
उन्होंने मेरा परिचय कलकत्ता शहर के अत्यंत विशिष्ट उद्योगपति से कराया जो उनके शिष्य थे और उनके कलकत्ता प्रवास के मेजबान भी थे |
कुछ दिनों तक मैं इस उधेड़ बुन में रहा कि क्या इस यात्रा पर जाना चाहिए या वाकई में ऐसा संभव है कि कोई व्यक्ति अपने पूर्व जन्म की घटनाओं को महसूस कर सके |
आखिर मैंने निश्चय कर लिया की मुझे इस साध्वी के साथ इस यात्रा पर जाना है।
तारीख और समय तय हुआ फोन पर और मैं चार दिनों के प्रवास पर हरिद्वार पहुंच गया |
वहां पहुंच कर अच्छा लगा करीब एक दशक के बाद हरिद्वार की यात्रा कर रहा था | पहाड़ों का अपना संगीत होता है | जो सुन चुका है वो समझ सकता है |
सन 2000 में मैं एक अत्यंत गम्भीर बीमारी से गुजरा था और चिकित्सा के दृष्टिकोण से कहा जा सकता है की मैने दूसरा जन्म पाया है |
मेरी ज्योतिष विज्ञान में बहुत छोटी उम्र से गहन रुचि रही और कई बार अपनी कुण्डली पर विचार करते समय कड़े मारकेश और सडाष्टक योग को देखते हुए ये सोचता था कि क्या इस अवस्था के बाद जीवत रहूंगा ?
खैर मैं बच गया और अपने गुरु तुल्य ज्योतिषाचार्य पर अटूट आस्था निर्मित हो गई |
वैसे तो गुरू के साथ मैं सन 1994 से हूं पर उस दौरान कुछ ऐसी घटनाएं मैंने प्रत्यक्ष रूप से देखी जिन्होंने पूर्ण विश्वास दिला दिया कि उनके पास कुछ अलौकिक और विशिष्ट शक्तियां है जिनका प्रयोग वो कभी कभी ही करते हैं |
हरिद्वार से मुझे ऋषिकेश मार्ग पर एक निवास स्थान पर पहुंचने का निर्देश मिला जो प्राय निर्जन स्थान प्रतीत होता था |
साध्वी जी वहां एक सहायक के साथ विराजमान थी | मुझे मानसिक रूप से तैयार करने के पश्चात मेरी पूर्व जन्म की यात्रा शुरू हुई |
पास्ट लाइफ थेरपी दो थ्योरी पर आधारित है पहली रीइनकार्ननेशन और दूसरी लॉ ऑफ कर्मा |
मेरी यात्रा पुनर्जन्म के दृष्टिकोण से की जा रही थी | तात्पर्य था की मानव जब तक अपनी आत्मा का पूर्ण विकास नही कर लेता तब तक वो जन्म लेता रहता है |
पास्ट लाईफ रिग्रेशन के दौरान कुछ विशिष्ट शैली में कुछ विशिष्ट प्रश्नों को निद्रा सम्मोहित अवस्था में व्यक्ति से पूछा जाता है और उसके अवचेतन मन ( सब कॉन्शियस माइंड) को एक्टिव कर पुरानी घटनाओं को फिर से दर्शाया जाता है |
मेरे साथ उस थैरेपी में साध्वी जी ने दो संचालन किए | पहला रिग्रेशन यानी पिछले जन्म की उन घटनाओं को पुनः देखना जिनके कारण मुझे वर्तमान में कष्ट हो रहा था |
दूसरा प्रोग्रेशन यानी आगे की वो घटनाओं का आभाष जो मुझे मोक्ष की स्थिति तक पहुंचाने में सहायक होंगी |
मैं एक तथ्य बताना चाहूंगा कि साध्वी जी कोई ट्रेंड क्लीनिकल साईकैटरिष्ट नहीं थी या सम्मोहन विशेषज्ञ भी नही थी |
परंतु
वो एक अत्यंत विकसित और सिद्ध क्रिया योग में पारंगत एक साध्वी थी जो मुझे क्यों मिली ये प्रभु ही जानते है |
मेरा ( past life regression & future progression pertaining to specific life incidents that can change the outcome in life ) यानी मेरी पूर्वजीवन के कुछ अंशों की पुनः यात्रा और भविष्य काल की कुछ अनुभूतियां (जो अत्यंत सीमित थी ) और उनके माध्यम से जीवन के निष्कर्ष को बदला जा सकता था, करीब तीन दिन चला |
तीन दिन मिलाकर करीब 16 घंटों की कुल निद्रा सम्मोहन की क्रिया चली और अनेक आश्चर्य चकित करने वाले तथ्य सामने आए |
मेरे जीवन में चल रहे अकारण अवसाद का कारण पता चला | मेरे वर्तमान जीवन के कई ऐसे व्यक्तियों के साथ मेरे पिछले जन्म का संबंध पता चला और कुछ भविष्य में आने वाले आत्म सखा और सखियों का भी आभाष हुआ |

सबसे आश्चर्यचकित करने वाले तथ्य तो फ्यूचर प्रोग्रैशन के दौरान सामने आए |
जीवन की अग्रिम घटनाओं का आभाष अत्यंत रोमांचक था |
इस थेरपी का निर्णय साध्वी जी ने तब लिया जब उन्हें आभाष हुआ कि मेरे जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटनाएं सन 2000 में मेरी गंभीर अस्वस्थता में घटी थी |
इस के पीछे क्या कुछ अलौकिक शक्ति थी ?
Well written … सरल भाषा में।